सोमवार, 27 जुलाई 2015

माँ


माँ बस नाम ही काफी है
कोई परिभाषा नहीं
माँ तेरे नाम की
तू तो राधा की भी बैसी ही थी
जैसी थी माँ तू श्याम की
.....विवेक...

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...