आशाओं के दीप जलाता हूँ
खुद में खुद खो जाता हूँ
कुछ कह जाता हूँ
भावो में वह जाता हूँ
भावो से भिड जाता हूँ
खुद से खुद टकराता हूँ
मरता हूँ फिर जी जाता हूँ
फिर नई रौशनी पता हूँ
फिर एक दीप जलाता हूँ
आशाओं में फिर खो जाता हूँ
आशाओं से आशाओं के
दीप जलाता हूँ
...विवेक....