159
डूबता रहा साँझ के मंजर सा ।
सफ़र जिंदगी रहा समंदर सा ।
160
कुछ टूटे ख्वाब ,ख़यालों से निकले ।
कुछ उलझे ज़वाब ,सवालों से निकले ।
.....
161
वक़्त से इतना ही मरासिम रहा ।
वक़्त मेरे वक़्त का कासिम रहा ।
.... मरासिम-रिश्ता
कासिम- विभाजित करने बाला
.....
162
हर फ़र्ज़ निभाए ,
बड़ी शिद्दत के से मैंने।
यह और है रास न आया मैं,
ज़िंदगी-ए-मुक़द्दार को ।
....
163
तराशने की चाह में ,
शाख-दर-शाख छंटते रहे ।
इस तरह कुछ हम ,
अपनी ही छाँव से घटते रहे ।
.....
164
हालात ने उम्र दराज बना दिया मुझे ।
यूँ तो शौक बचकाना अभी भी है मेरे ।
....
....विवेक दुबे"निश्चल"@....
Blog post 17/8/18
डूबता रहा साँझ के मंजर सा ।
सफ़र जिंदगी रहा समंदर सा ।
160
कुछ टूटे ख्वाब ,ख़यालों से निकले ।
कुछ उलझे ज़वाब ,सवालों से निकले ।
.....
161
वक़्त से इतना ही मरासिम रहा ।
वक़्त मेरे वक़्त का कासिम रहा ।
.... मरासिम-रिश्ता
कासिम- विभाजित करने बाला
.....
162
हर फ़र्ज़ निभाए ,
बड़ी शिद्दत के से मैंने।
यह और है रास न आया मैं,
ज़िंदगी-ए-मुक़द्दार को ।
....
163
तराशने की चाह में ,
शाख-दर-शाख छंटते रहे ।
इस तरह कुछ हम ,
अपनी ही छाँव से घटते रहे ।
.....
164
हालात ने उम्र दराज बना दिया मुझे ।
यूँ तो शौक बचकाना अभी भी है मेरे ।
....
....विवेक दुबे"निश्चल"@....
Blog post 17/8/18