विवेक"यह सफर विकल्प से संकल्प तक का ।
लगता सारा ज़ीवन "निश्चल"सफर दो पग का ।
...निश्चल"@ ..
दर्द मेरे दिल का ,
निग़ाह में असर नही रखता ।
शाम-ए-महफ़िल में,
वो मेरा जिकर नही रखता ।
... निश्चल"@.
दर्द मेरे दिल का ,
निग़ाह में नजर चाहिए।
शाम-ए-महफ़िल में,
मेरा भी जिकर चाहिए ।
... "निश्चल"@.
तारा टूटा फ़लक से जमीं नसीब न थी ।
ख़ाक हुआ हवा में मुफ़लिसी केसी थी ।।
..निश्चल"@ ..
मत कर तू शक़ उसके वुजूद पर ।
कायम है जहां जिसके खुलूस पर ।
खुलूस /सच्चाई
....निश्चल"@ ..
जितना तू बे-ज़िक्र रहेगा ।
उतना तू बे-फ़िक्र रहेगा ।
...निश्चल"@ ..
चल छोड़ दे फिक्रें कल की ।
न छीन खुशियाँ इस पल की ।
...निश्चल"@ ..
न कर रश्क़ अपने रंज-ओ-मलाल से ।
कर तर खुदी को ख़ुशी के गुलाल से ।
....निश्चल"@ ..
दर्या हूँ वह जाऊँगा समंदर की चाह में ।
मिलेगा बजूद मेरा कही किसी निगाह में ।
.....निश्चल"@ ..
सहारे गर्दिश-ऐ-फ़रियाद में ,
रिश्तों की बुनियाद हुआ करते हैं ।
...निश्चल"@ ..
यह नसीब भी आदत बदलता रहा ।
बदल बदल कर साथ चलता रहा ।
....निश्चल"@ ..
जिंदगी का ये कैसा फ़लसफ़ा है ।
के हर कोई हर किसी से ख़फ़ा है ।
....निश्चल"@ ..
शिद्दत से पुकारा इल्म सा सराहा उसने ।
गढ़कर निगाह से बुत कह पुकारा उसने।
.....निश्चल"@ ..
सबब परेशानियों का ,फ़क़त इतना रहा ।
तू परेशां न रहा , मैं भी परेशां न रहा ।
......निश्चल"@ ..
मोल न रहा मेरा कुछ इस तरह ।
बेमोल कहा उसने कुछ जिस तरह ।
....निश्चल"@ ..
मैं तेरे इस जवाब का क्या हिसाब दूँ ।
जिंदगी तुझे जिंदगी का क्या हिसाब दूँ ।.
.....निश्चल"@ ..
बे-वजह वजह पूछी नही जाती ।
चाहतों की रजा पूछी नही जाती ।
.....निश्चल"@ ..
मुस्कुराने का मसौदा कर लिया हमने ।
यूँ खुद से खुद सौदा कर लिया हमने ।
.......निश्चल"@ ..
जलाना तू एक चराग़ उजालों के सामने ,
अंधेरों में तो जुगनू भी राह दिखा देते है ।
..... निश्चल"@ ..
दूरियों के कुछ गुमां दूर न हो सके ।
यूँ हम अपनो में मशहूर न हो सके ।
...निश्चल"@ ..
लकीरें मुक्कदर की बदलती नहीं।
फिर भी लोग तक़दीर गड़ा करते हैं ।
.....निश्चल"@ ..
मेरे अश्क़ सामने गिरे मेरे अपनों के ही ।
मुस्कुराहट गेरों में वफ़ा तलाशती रही ।
.......निश्चल"@ ..
जागते हुए कुछ सपने देखे है ।
गैरो में भी कुछ अपने देखे है ।
...."निश्चल"@....
जब उसे मेरी जरूरत की जरूरत न रहेगी ।
तब उससे मिलने की कोई सूरत न रहेगी ।
...."निश्चल"@ ...
वो यादे बचपन की ।
बाते मन से मन की ।
सिमट गई यादों में ,
खुशियाँ जीवन की ।
..."निश्चल"@ ..
हौंसलों की "निश्चल" कभी हार नही होती ।
कठिन भले हो जिंदगी पर भार नही होती ।
....निश्चल"@ ..
इश्क़ में रूहें करम अता फ़रमाती है ।
लोग बुतों की सूरत पर मरा करते है ।
...निश्चल"@ ..
अलग होता नही कुछ जमाने मे ।
निग़ाह बदलती है बस मिलाने में ।,
...निश्चल"@ ..
एक दुआ की ख़ातिर टूटता सितारों सा ।
कुछ यादों की ख़ातिर मैं अधूरे वादों सा ।
...निश्चल"@ ..
तराशने की चाह में ,
शाख-दर-शाख छटते रहे ।
इस तरह कुछ हम ,
अपनी ही छाँव से घटते रहे ।
...निश्चल"@ ..
कुछ यूँ अहसान बन गया वो ।
हर बात का ईमान बन गया वो ।
लेकर आया जिसे मैं मेरे घर में ,
बे-वज़ह मेहमान बन गया वो ।
......निश्चल"@ ..
दूरियों के कुछ गुमां दूर न हो सके ।
यूँ हम अपनो में मशहूर न हो सके ।
....."निश्चल"@....
मेरे अश्क़ सामने गिरे मेरे अपनों के ही ।
मुस्कुराहट गेरों में वफ़ा तलाशती रही ।
...."निश्चल"@....
जागते हुए कुछ सपने देखे है ।
गैरो में भी कुछ अपने देखे है ।
...."निश्चल"@....
जब उसे मेरी जरूरत की जरूरत न रहेगी ।
तब उससे मिलने की कोई सूरत न रहेगी ।
...."निश्चल"@ ...
वो यादे बचपन की ।
बाते मन से मन की ।
सिमट गई यादों में ,
खुशियाँ जीवन की ।
..."निश्चल"@ ..
हौंसलों की "निश्चल" कभी हार नही होती ।
कठिन भले हो जिंदगी पर भार नही होती ।
...."निश्चल"@..
बस इतना ही तो इक़रार है ।
के तुझे मुझ पे ऐतबार है ।
..."निश्चल"@.
ख़्याल में ख़्याल गुम हुए ।
यूँ इस तरह हमारे तुम हुए ।
...."निश्चल"@....
ख़्याल में ख़्याल गुम हुए ।
यूँ इस तरह हमारे तुम हुए ।
...."निश्चल"@....
बस इतना सा सौदा होता ।
खुशियों का न मसौदा होता ।
रो लेते तेरे कांधे पे सर रख ,
तूने बस एक ज़ख्म कुरेदा होता ।
...."निश्चल"@...
बादलो से भरे न आसमान थे ।
तेरे होने के कहीं तो निशान थे ।
मैं ताकत रहा रात भर ,
रात भर नजर नही चाँद थे ।
..."निश्चल"@..
तुम भी हद में रहो हम भी हद में रहे ।
फिर भले ये मोहोब्बत बेहद क्यूँ न हो जाये ।
..."निश्चल"@..
क्यों रुक गए ख़्वाब तुम साथ चलते चलते ,
मुश्किल हालात में तुम भी साथ छोड़ चले ।
.."निश्चल"...
बे-मज़ा ज़िंदगी भी मज़ा रही है ।
तेरे इश्क़ की यही तो रज़ा रही है ।
..."निश्चल"...
न कर उम्मीद और आस किसी से ,
तलाश कर तू ख़ुद को ही ख़ुदी में ।
.."निश्चल"@..
न किसी उम्मीद न आस में मैं ।
हूँ ख़ुद ख़ुद की तलाश में मैं ।
.."निश्चल"@..
कोई उसे तब क्या दुआ देगा ।
साहिल ही जब जिसे डुबा देगा ।
.."निश्चल"@..
मुंतज़िर हूँ मैं दुआओं का
तुझे मैं क्या दुआयें दूँ ।
.."निश्चल"@..
ख़्वाब ओ ख्यालों में कुछ कमी सी रही ।
पूरा न हुआ आसमां अधूरी ये जमीं सी रही ।
.."निश्चल"@..
लगाया कयास था के मैं मन उदास था ।
था खुशी के पास ग़म का अहसास था ।
...."निश्चल"@...
एक प्रश्न यहाँ है, के मेरा कौन वहाँ है ।
खोज रहा मन, अन्तर्मन मौन कहाँ है ।
..."निश्चल"@..
जिंदगी का ये कैसा फ़लसफ़ा है ।
के हर कोई हर किसी से ख़फ़ा है ।
...."निश्चल"@.....
रूठ कर अक्सर हमसे ,
तुम निगाहों से मुस्कुराते हो ।
.."निश्चल"@..
बे-वजह वजह पूछी नही जाती ।
चाहतों की रजा पूछी नही जाती ।
.."निश्चल"@.
मुस्कुराने का मसौदा कर लिया हमने ।
यूँ खुद से खुद सौदा कर लिया हमने ।
...."निश्चल"@....
बड़ी दूर तलक अंधेरा था ।
नजरों पे नजरों से पहरा था ।
चलते थे ले हाथों में हाथों को,
वो सफर बड़ा सुनहरा था ।
...."निश्चल"@...
जलाना तू एक चराग़ उजालों के सामने ,
अंधेरों में तो जुगनू भी राह दिखा देते है ।
..... विवेक दुबे"निश्चल".....
*जलाना तू एक चराग़ उजालों के सामने ,
*अंधेरों को तो जुगनू भी रोशन किया करते है ।*
..... विवेक दुबे"निश्चल"....
तु हुनर बाँटना अपने ही तरीक़े से ,
शागिर्द ही उस्ताद हुआ करते है ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@....
*सरापा आरजू कर लिया उसने मुझे ।*
*क़तरा क़तरा चाहा था जिसने मुझे ।*
.... *"निश्चल"*@.....
सरापा(सम्पूर्ण)
जागता रहा , कुछ हम राज सा रहा ।
छूटता किनारा , दरिया साथ सा बहा ।
..... "निश्चल"@......
बुझना बुझदिली , जलना मुहाल सा रहा ।
तूफ़ान के दिये सा, ही मेरा हाल सा रहा ।
... "निश्चल"@......
सिखाता वक़्त , हालात से हरदम रहा ।
हारता इंसान , ज़ज्बात से हरदम रहा ।
... "निश्चल"@......
तोड़ न पाईं होंसले, वो मुश्किलें भी ,
सँग छालों के , पाँव सफर करता रहा ।
... "निश्चल"@......
कौन है अपना , अब किसे कहूँ नाख़ुदा ,
लूटने का काम , जब रहबर करता रहा ।
... "निश्चल"@......
दिन उजलों से टले , रातें अंधेरी साथ सी ।
चलते रहे सफ़र पर, बस हसरतें हाथ सी ।
..... विवेक "निश्चल"@......
Blog Post 31/10/23