मंगलवार, 31 अक्तूबर 2023

शेर

 विवेक"यह सफर विकल्प से संकल्प तक का ।

लगता सारा ज़ीवन "निश्चल"सफर दो पग का ।

...निश्चल"@ ..


दर्द मेरे दिल का ,

  निग़ाह में असर नही रखता ।

शाम-ए-महफ़िल में,

 वो मेरा जिकर नही रखता ।

... निश्चल"@.


दर्द मेरे दिल का ,

  निग़ाह में नजर चाहिए।

शाम-ए-महफ़िल में, 

    मेरा भी जिकर चाहिए ।

  ... "निश्चल"@.


तारा टूटा फ़लक से जमीं नसीब न थी ।

ख़ाक हुआ हवा में मुफ़लिसी केसी थी ।।

..निश्चल"@ ..

मत कर तू शक़ उसके वुजूद पर ।

कायम है जहां जिसके खुलूस पर ।

खुलूस /सच्चाई

....निश्चल"@ ..

जितना तू बे-ज़िक्र रहेगा ।

 उतना तू बे-फ़िक्र रहेगा ।

...निश्चल"@ ..


चल छोड़ दे फिक्रें कल की ।

न छीन खुशियाँ इस पल की ।

...निश्चल"@ ..


न कर रश्क़ अपने रंज-ओ-मलाल से ।

कर तर खुदी को ख़ुशी के गुलाल से ।

....निश्चल"@ ..


दर्या हूँ वह जाऊँगा समंदर की चाह में ।

मिलेगा बजूद मेरा कही किसी निगाह में ।

.....निश्चल"@ ..


सहारे गर्दिश-ऐ-फ़रियाद में ,

रिश्तों की बुनियाद हुआ करते हैं ।

...निश्चल"@ ..


यह नसीब भी आदत बदलता रहा ।

बदल बदल कर साथ चलता रहा ।

....निश्चल"@ ..


जिंदगी का ये कैसा फ़लसफ़ा है ।

के हर कोई हर किसी से ख़फ़ा है ।

....निश्चल"@ ..


शिद्दत से पुकारा इल्म सा सराहा उसने ।

 गढ़कर निगाह से बुत कह पुकारा उसने।

.....निश्चल"@ ..


 सबब परेशानियों का ,फ़क़त इतना रहा ।

   तू परेशां न रहा ,    मैं भी परेशां न रहा ।

......निश्चल"@ ..


   मोल न रहा मेरा कुछ इस तरह ।

 बेमोल कहा उसने कुछ जिस तरह ।

....निश्चल"@ ..


मैं तेरे इस जवाब का क्या हिसाब दूँ ।

जिंदगी तुझे जिंदगी का क्या हिसाब दूँ ।.

.....निश्चल"@ ..


 बे-वजह वजह पूछी नही जाती ।

चाहतों की रजा पूछी नही जाती ।

.....निश्चल"@ ..


मुस्कुराने का मसौदा कर लिया हमने ।

यूँ खुद से खुद सौदा कर लिया हमने ।

.......निश्चल"@ ..


जलाना तू एक चराग़ उजालों के सामने ,

अंधेरों में तो जुगनू भी राह दिखा देते है  ।

..... निश्चल"@ ..


दूरियों के कुछ गुमां दूर न हो सके ।

यूँ हम अपनो में मशहूर न हो सके ।

...निश्चल"@ ..


 लकीरें मुक्कदर की बदलती नहीं।

फिर भी लोग तक़दीर गड़ा करते हैं ।

.....निश्चल"@ ..


मेरे अश्क़ सामने गिरे मेरे अपनों के ही ।

 मुस्कुराहट गेरों में वफ़ा तलाशती रही ।

.......निश्चल"@ ..


जागते हुए कुछ सपने देखे है ।

गैरो में भी कुछ अपने देखे है ।

...."निश्चल"@....


जब उसे मेरी जरूरत की जरूरत न रहेगी ।

तब उससे मिलने की कोई सूरत न रहेगी ।

...."निश्चल"@ ...


वो यादे बचपन की ।

बाते मन से मन की ।

सिमट गई यादों में ,

खुशियाँ जीवन की ।

..."निश्चल"@ ..


हौंसलों की "निश्चल" कभी हार नही होती ।

कठिन भले हो जिंदगी पर भार नही होती ।

 ....निश्चल"@ ..


इश्क़ में रूहें करम अता फ़रमाती है ।

लोग बुतों की सूरत पर मरा करते है ।

...निश्चल"@ ..


अलग होता नही कुछ जमाने मे ।

निग़ाह बदलती है बस मिलाने में ।,

...निश्चल"@ ..


एक दुआ की ख़ातिर टूटता सितारों सा ।

कुछ यादों की ख़ातिर मैं अधूरे वादों सा ।

...निश्चल"@ ..


तराशने की चाह में , 

शाख-दर-शाख छटते रहे ।

इस तरह कुछ हम  ,

 अपनी ही छाँव से घटते रहे ।

...निश्चल"@ ..


कुछ यूँ अहसान बन गया वो ।

हर बात का ईमान बन गया वो ।

लेकर आया जिसे मैं मेरे घर में ,

बे-वज़ह मेहमान बन गया वो ।

......निश्चल"@ ..


दूरियों के कुछ गुमां दूर न हो सके ।

यूँ हम अपनो में मशहूर न हो सके ।

....."निश्चल"@....


मेरे अश्क़ सामने गिरे मेरे अपनों के ही ।

 मुस्कुराहट गेरों में वफ़ा तलाशती रही ।

...."निश्चल"@....


जागते हुए कुछ सपने देखे है ।

गैरो में भी कुछ अपने देखे है ।

...."निश्चल"@....


जब उसे मेरी जरूरत की जरूरत न रहेगी ।

तब उससे मिलने की कोई सूरत न रहेगी ।

...."निश्चल"@ ...


वो यादे बचपन की ।

बाते मन से मन की ।

सिमट गई यादों में ,

खुशियाँ जीवन की ।

..."निश्चल"@ ..


हौंसलों की "निश्चल" कभी हार नही होती ।

कठिन भले हो जिंदगी पर भार नही होती ।

 ...."निश्चल"@..


बस इतना ही तो इक़रार है ।

के तुझे मुझ पे ऐतबार है ।

..."निश्चल"@.


ख़्याल में ख़्याल गुम हुए ।

यूँ इस तरह हमारे तुम हुए ।

...."निश्चल"@....


ख़्याल में ख़्याल गुम हुए ।

यूँ इस तरह हमारे तुम हुए ।

...."निश्चल"@....


बस इतना सा सौदा होता ।

खुशियों का न मसौदा होता ।

रो लेते तेरे कांधे पे सर रख ,

तूने बस एक ज़ख्म कुरेदा होता ।

...."निश्चल"@...


बादलो से भरे न आसमान थे ।

तेरे होने के कहीं तो निशान थे ।

मैं ताकत रहा रात भर ,

 रात भर नजर नही चाँद थे ।

..."निश्चल"@..


तुम भी हद में रहो हम भी हद में रहे ।

फिर भले ये मोहोब्बत बेहद क्यूँ न हो जाये ।

..."निश्चल"@..


क्यों रुक गए ख़्वाब तुम साथ चलते चलते ,

मुश्किल हालात में तुम भी साथ छोड़ चले ।

.."निश्चल"...


बे-मज़ा ज़िंदगी भी मज़ा रही है ।

तेरे इश्क़ की यही तो रज़ा रही है ।

..."निश्चल"...


न कर उम्मीद और आस किसी से ,

तलाश कर तू ख़ुद को ही ख़ुदी में ।

.."निश्चल"@..


न किसी उम्मीद न आस में मैं ।

 हूँ ख़ुद ख़ुद की तलाश में मैं ।

   .."निश्चल"@..


  कोई उसे तब क्या दुआ देगा ।

 साहिल ही जब जिसे डुबा देगा ।

   .."निश्चल"@..


 मुंतज़िर हूँ मैं दुआओं का 

 तुझे मैं क्या दुआयें दूँ ।

  .."निश्चल"@..


ख़्वाब ओ ख्यालों में कुछ कमी सी रही ।

पूरा न हुआ आसमां अधूरी ये जमीं सी रही ।

   .."निश्चल"@..


लगाया कयास था के मैं मन उदास था ।

था खुशी के पास ग़म का अहसास था ।

       ...."निश्चल"@...


एक प्रश्न यहाँ है, के मेरा कौन वहाँ है ।

खोज रहा मन, अन्तर्मन मौन कहाँ है ।

        ..."निश्चल"@..


जिंदगी का ये कैसा फ़लसफ़ा है ।

के हर कोई हर किसी से ख़फ़ा है ।

...."निश्चल"@.....

रूठ कर अक्सर हमसे ,

तुम निगाहों से मुस्कुराते हो ।

.."निश्चल"@..

 बे-वजह वजह पूछी नही जाती ।

चाहतों की रजा पूछी नही जाती ।

.."निश्चल"@.

मुस्कुराने का मसौदा कर लिया हमने ।

यूँ खुद से खुद सौदा कर लिया हमने ।

...."निश्चल"@....

बड़ी दूर तलक अंधेरा था ।

नजरों पे नजरों से पहरा था ।

चलते थे ले हाथों में हाथों को,

वो सफर बड़ा सुनहरा था ।

...."निश्चल"@...

जलाना तू एक चराग़ उजालों के सामने ,

अंधेरों में तो जुगनू भी राह दिखा देते है  ।

..... विवेक दुबे"निश्चल".....


*जलाना तू एक चराग़ उजालों के सामने ,

*अंधेरों को तो जुगनू भी रोशन किया करते है ।*

..... विवेक दुबे"निश्चल"....


तु हुनर बाँटना अपने ही तरीक़े से ,

 शागिर्द ही उस्ताद हुआ करते है ।

....विवेक दुबे"निश्चल"@....


*सरापा आरजू कर लिया उसने मुझे ।*

*क़तरा क़तरा चाहा था जिसने मुझे ।*

 .... *"निश्चल"*@.....

सरापा(सम्पूर्ण)


जागता रहा , कुछ हम राज सा रहा ।

 छूटता किनारा , दरिया साथ सा बहा ।

..... "निश्चल"@...... 


बुझना बुझदिली , जलना मुहाल सा रहा ।

तूफ़ान के दिये सा,  ही मेरा हाल सा रहा ।

... "निश्चल"@...... 


सिखाता वक़्त , हालात से हरदम रहा ।

हारता  इंसान , ज़ज्बात से हरदम रहा ।

... "निश्चल"@...... 


तोड़ न पाईं होंसले,  वो मुश्किलें भी ,

सँग छालों के , पाँव सफर करता रहा ।

... "निश्चल"@...... 


कौन है अपना , अब किसे कहूँ नाख़ुदा ,

लूटने का काम , जब रहबर करता रहा ।

... "निश्चल"@...... 

दिन उजलों से टले , रातें अंधेरी साथ सी ।

चलते रहे सफ़र पर, बस हसरतें हाथ सी ।

..... विवेक "निश्चल"@...... 


Blog Post 31/10/23


कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...