बुधवार, 21 अगस्त 2019

मैं

749

मैं ही समस्या ,
 मैं ही समाधान हूँ ।

  मैं ही आदान ,
  मैं ही प्रदान हूँ ।

 मैं दृष्टा स्वयं ही स्वयं का,
 स्वयं ही स्वयं के समान हूँ ।

....विवेक दुबे "निश्चल"@..




सफ़र डगर

748
रुककर सफ़र डगर पर ,
डगर सफ़र फ़िर चलता है ।

जो तूफानों से लड़कर ,
हालातों से जा भिड़ता है ।

तपकर संघर्षो की अग्नि में ,
कुंदन सा होकर ढ़लता है ।

अथक चला ज़ीवन पथ पर ,
पग पग पथ डग धरता है ।

तब दूर क्षितिज पर तारा कोई ,
सदूर क्षितिज तक मंजिल गढता है ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@..
डायरी 6

राखी

750
रिश्तों का हो अंजन ।
प्यार का हो बंधन ।
 विश्वास के दर्पण में ,
 सागर सा हो मन ।

 यह राखी ही मेरे ,
 शृंगार का हो साधन ।
 कभी न हो जो पूरा ,
 मुझसे तेरा यह ऋण ।

 इस राखी के धागे में ,
 यह तन मन हो अर्पण ।
 बहना यह जीवन  ,
 हो बस तुझे समर्पण । ...
             
        ।। शुभ राखी  ।।
                 
     ....विवेक दुबे"निश्चल"@....
दायरी 6

मंगलवार, 20 अगस्त 2019

मेरे होने की कहानी

  मेरे होने की , कहानी लिख दूँ ।
 फिर कोई अपनी, निशानी लिख दूँ ।

  खो गए हालात ,  जिन हाथों से ,
 उन हाथों की, जख्म सुहानी लिख दूँ ।

 न हो चैन मयस्सर, जिस जिस्म रूह को ,
 कशिश उस रूह की,  रूहानी लिख दूँ ।

 गुजरता गया दिन , शोहरतों में ,
 रात की फिर , वीरानी लिख दूँ ।

बदलती रही रंग , मौसम की तरह ,
ये जिंदगी , फिर भी दीवानी लिख दूँ।

  सिमेटकर कुछ , हंसी खयालों को  ,
 उनवान नया ,नज़्म पुरानी लिख दूँ ।

 ले आया यहां, सफर उम्र का चलते चलते ,
"निश्चल"पड़ाव पे, उम्र की नादानी लिख दूँ ।

     .... विवेक दुबे"निश्चल"@....




कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...