नन्दन वन्दन हे *अभिनन्दन* ,
लौटे अंगद सा पग धरकर ।
डिगे नही तनिक भी पथ से ,
हुंकारे तुम साहस भरकर ।
एक सिंह चला सीना ताने ,
दहाड़ उठे गर्जन कर कर ।
कांप उठा वो शत्रु भी ,
छलता जो हमको धोके देकर ।
शौर्य दिखाया मातृभूमि को ,
लौटे तुम वन्देमातरम गा कर ।
झूम उठा हर रंग तिरंगा ,
अपने बीच तुम्हे पा कर ।
होली है और आज दिवाली है ,
रंग बसंती उड़ते हाथों में भरकर ।
जन जन आज वतन का ,
गर्व करे "निश्चल" *अभिनन्दन* पर ।
.... विवेक दुबे"निश्चल@....
लौटे अंगद सा पग धरकर ।
डिगे नही तनिक भी पथ से ,
हुंकारे तुम साहस भरकर ।
एक सिंह चला सीना ताने ,
दहाड़ उठे गर्जन कर कर ।
कांप उठा वो शत्रु भी ,
छलता जो हमको धोके देकर ।
शौर्य दिखाया मातृभूमि को ,
लौटे तुम वन्देमातरम गा कर ।
झूम उठा हर रंग तिरंगा ,
अपने बीच तुम्हे पा कर ।
होली है और आज दिवाली है ,
रंग बसंती उड़ते हाथों में भरकर ।
जन जन आज वतन का ,
गर्व करे "निश्चल" *अभिनन्दन* पर ।
.... विवेक दुबे"निश्चल@....