सोमवार, 15 अगस्त 2022

आजादी

 लहर लहर लहराए तिरंगा ।

जन गण मन जब गाये जनता ।


अजर अमर कुर्बानी जिनकी ,

गीतों में वो गाथा गाये जनता ।


बलिदानी वीरों की यादों में ,

नयन सुमन सजाये जनता ।


... विवेक दुबे "निश्चल"@...

नील गगन में उठा स्वाभिमान से माथा ।

लिपट तिरंगे में सुना रहा वीरों की गाथा ।

रानी के जोहर की भस्म सहजकर ,

 उन बलिदानों की ये याद दिलाता ।

     ...."निश्चल"@....

डायरी 7

आजादी जब से मिली ,पाये दिन अनमोल ।

जो प्राणों को हुत किये, उनकी जय जय बोल ।।

उनकी जय जय बोल , करो यादों को ताजा ।

गाओ गीतों संग, अमर वीरों की गाथा ।।

फिजां हुई रंगीन , महकती है अब वादी।

पाए दिन अनमोल , मिली जब से आजादी ।

...."निश्चल"@...

ये परचम जो लहराया है

 


ये परचम जो लहराया है ।

राष्ट्रबाद लेकर आया है ।


भोर सुनहरी किरणो सँग,

सूरज भी इतराया है ।

नवल धवल पवन चले ,

मकरंद भरा झोंका आया है ।


ये परचम जो लहराया है ।

राष्ट्रबाद लेकर आया है ।


चमक रहीं किरणें चँदा की ,

निशि ने खुद को बौराया है ।

दमक रहा हिमालय भी ,

सागर को आँचल में लाया है ।


ये परचम जो लहराया है ।

राष्ट्रबाद लेकर छाया है ।


नव चेतन जन मन में ,

जन ने जन को जगाया है ।

हर घर पर फहराता तिरंगा ,

चहु और तिरंगा छाया है ।


ये परचम जो लहराया है ।

राष्ट्रबाद लेकर छाया है ।


बड़ा नही कुछ मातृभूमि से ,

ये संदेशा आज सुनाया है ।

एक साथ खड़े हम दृणता से ,

दुनियाँ को आज दिखाया है ।


 ये परचम जो लहराया है ।

राष्ट्रबाद लेकर आया है ।


...विवेक दुबे"निश्चल"@....

डायरी 7


अमृत महोत्सव

स्वाभिमानी की लालिमा,

दमक रही है भारत के भाल पे ।

प्रफुल्लित है जन गण मन,

   बदले से इस हाल पे ।

 कर करता है अब यह बातें अपनी ,

आंखों में आंखें डाल के।

 स्वाभिमान की लालिमा,

 दमक रही है भारत के भाल पे।

सहम रहा है हर शत्रु,

 इसकी शेरों जैसी चाल से ।

कुचल रहा है अब सारे विषधर ,

आस्तीन में जो रखे थे पाल के ।

 मूक नहीं है अब यह माटी ,

गर्जन करती विपुल विशाल से ।

निरीह ही नहीं है अब हम ,

जीते हैं हम अपने ही ख्याल से ।

सहम रहा है हर शत्रु "निश्चल"",

 इस भारत माता के लाल से ।

स्वाभिमान की लालिमा ...

विवेक दुबे निश्चल







कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...