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कितना सच्चा सरल लिखा उसने ।
जीवन को एक गरल लिखा उसने ।
उस ठहरी हुई कलम से ,
शब्द शब्द सचल लिखा उसने ।
शुष्क हुई उन आँखों में ,
भर भाव सजल लिखा उसने ।
लिख भाषा रिश्ते नातो की ,
सम्बंधो का सकल लिखा उसने ।
सार लिखा है ज़ीवन का ,
नही कहीं नकल लिखा उसने ।
बदल रहे पल में रिश्ते ,
हर रिश्ता अचल लिखा उसने ।
हार गया अपनो के आगे ,
और जीवन सफल लिखा उसने ।
टालकर हर सवाल को ,
हर जवाब अटल लिखा उसने ।
भर मन शान्त भाव को ,
"निश्चल" विकल लिखा उसने ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@......
डायरी 6(79)
Blog post 15/12/18
कितना सच्चा सरल लिखा उसने ।
जीवन को एक गरल लिखा उसने ।
उस ठहरी हुई कलम से ,
शब्द शब्द सचल लिखा उसने ।
शुष्क हुई उन आँखों में ,
भर भाव सजल लिखा उसने ।
लिख भाषा रिश्ते नातो की ,
सम्बंधो का सकल लिखा उसने ।
सार लिखा है ज़ीवन का ,
नही कहीं नकल लिखा उसने ।
बदल रहे पल में रिश्ते ,
हर रिश्ता अचल लिखा उसने ।
हार गया अपनो के आगे ,
और जीवन सफल लिखा उसने ।
टालकर हर सवाल को ,
हर जवाब अटल लिखा उसने ।
भर मन शान्त भाव को ,
"निश्चल" विकल लिखा उसने ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@......
डायरी 6(79)
Blog post 15/12/18