मैं जैसा हूँ बदल नहीं सकता हूँ ।
मैं बस एक सादा सा रिश्ता हूँ ।
पहुँचे लक्ष्य मुहाने चल मुझ पर ,
हाँ मैं एक सीध सा ही रस्ता हूँ ।
सहज रहा आती जाती यादों को ,
पीठ धरे हरदम यादों का बस्ता हूँ ।
मैं जैसा हूँ बदल नहीं सकता हूँ ।
मैं बस एक सादा सा रिश्ता हूँ ।
धूमिल संध्या कुछ पद चापों से ,
दिनकर के आते फिर पिसता हूँ ।
अपने तन पर पड़ते घावों को ,
आते जाते कदमो से घिसता हूँ ।
मैं जैसा हूँ बदल नहीं सकता हूँ ।
मैं बस एक सादा सा रिश्ता हूँ ।
धूप कहीं छाँव कहीं मुझ पर ,
मंजिल की खातिर बिछता हूँ ।
"निश्चल" रहा हर दम ही मैं ।
बढ़ता हूँ ना ही मैं घटता हूँ ।
पहुँचे लक्ष्य मुहाने चल मुझ पर ,
हाँ मैं एक सीध सा ही रस्ता हूँ ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 5(179)
मैं बस एक सादा सा रिश्ता हूँ ।
मैं बस एक सादा सा रिश्ता हूँ ।
पहुँचे लक्ष्य मुहाने चल मुझ पर ,
हाँ मैं एक सीध सा ही रस्ता हूँ ।
सहज रहा आती जाती यादों को ,
पीठ धरे हरदम यादों का बस्ता हूँ ।
मैं जैसा हूँ बदल नहीं सकता हूँ ।
मैं बस एक सादा सा रिश्ता हूँ ।
धूमिल संध्या कुछ पद चापों से ,
दिनकर के आते फिर पिसता हूँ ।
अपने तन पर पड़ते घावों को ,
आते जाते कदमो से घिसता हूँ ।
मैं जैसा हूँ बदल नहीं सकता हूँ ।
मैं बस एक सादा सा रिश्ता हूँ ।
धूप कहीं छाँव कहीं मुझ पर ,
मंजिल की खातिर बिछता हूँ ।
"निश्चल" रहा हर दम ही मैं ।
बढ़ता हूँ ना ही मैं घटता हूँ ।
पहुँचे लक्ष्य मुहाने चल मुझ पर ,
हाँ मैं एक सीध सा ही रस्ता हूँ ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@....
डायरी 5(179)
मैं बस एक सादा सा रिश्ता हूँ ।