उम्र ज्यों पकती है,तन तपिश घटती है।
हाँ इस पड़ाव पर, ठंड तो लगती है ।
....
उम्र पकती रही रौनकें घटती रहीं।
तजुर्बा-ऐ-ताव में हयात तपती रही।
हयात (जीवन ज़िन्दगी)
...
उम्र के इस पड़ाव पर।
इश्क़ के अलाव पर।
सिकतीं यादें प्यार की,
अहसास के कड़ाव पर ।
....
यादों में बिखर जाते हैं ।
रिश्ते यूँ निखर जाते हैं ।
कटती उम्र ख़यालों सँग ,
जो आगोश भर जाते हैं ।
....
इस काँटिल छाँव तले ।
सोचूं कुछ सुबह तले ।
क्या खोया क्या पाया,
जीवन की साँझ ढले।
..
हिचकिचाहट की भी आहट है।
"निश्चल" यूँ मुझे इसकी आदत है।
... विवेक दुबे "निश्चल"@.....
हाँ इस पड़ाव पर, ठंड तो लगती है ।
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उम्र पकती रही रौनकें घटती रहीं।
तजुर्बा-ऐ-ताव में हयात तपती रही।
हयात (जीवन ज़िन्दगी)
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उम्र के इस पड़ाव पर।
इश्क़ के अलाव पर।
सिकतीं यादें प्यार की,
अहसास के कड़ाव पर ।
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यादों में बिखर जाते हैं ।
रिश्ते यूँ निखर जाते हैं ।
कटती उम्र ख़यालों सँग ,
जो आगोश भर जाते हैं ।
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इस काँटिल छाँव तले ।
सोचूं कुछ सुबह तले ।
क्या खोया क्या पाया,
जीवन की साँझ ढले।
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हिचकिचाहट की भी आहट है।
"निश्चल" यूँ मुझे इसकी आदत है।
... विवेक दुबे "निश्चल"@.....