सोमवार, 28 दिसंबर 2015

मैं

               अनन्त अंतरिक्ष को खोजता मैं ।
              कौन हूँ क्यों हूँ बार बार सोचता मैं ।

                 इस स्वार्थ से परे भी है क्या कुछ ,
                यही प्रश्न खुद में खुद खरोचता मैं ।
           
                ....विवेक दुबे"निश्चल"@...

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...