कुछ खास नहीं कवि पिता की संतान हूँ । ..... निर्दलीय प्रकाशन भोपाल द्वारा बर्ष 2012 में "युवा सृजन धर्मिता अलंकरण" से अलंकृत। जन चेतना साहित्यिक सांस्कृतिक समिति पीलीभीत द्वारा 2017 श्रेष्ठ रचनाकार से सम्मानित कव्य रंगोली त्रैमासिक पत्रिका लखीमपुर खीरी द्वारा साहित्य भूषण सम्मान 2017 से सम्मानित "निश्चल" मन से निश्छल लिखते जाओ । ..... . (रचनाये मौलिक स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित .)
शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2016
गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016
शत्रु का संहार करो
नही तनिक भी मेरी परवाह करो
शत्रु आ छुपे जब मेरे पीछे तब
तुम पहले मुझ पर ही प्रहार करो
करो करो बस शत्रु का संहार करो
.... विवेक ....
बुधवार, 24 फ़रवरी 2016
न सोचें हम कुछ न सोचो तुम कुछ
न हम सोचें अब कुछ
न तुम सोचो अब कुछ
होता है हो जाने दो
एक गुलामी फिर आने दो
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जलता है देश जल जाने दो
बंटता है समाज बंट जाने दो
शकुनि की चलें चल जाने दो
फिर खण्ड खण्ड हो जाने दो
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जीवित कंस हो जाने दो
धृतराष्ट्र को स्वप्न सजाने दो
आयें कृष्ण धरा पर फिर
आने का एक बहाना दो
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••••• विवेक ••••••
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कलम चलती है शब्द जागते हैं।
सम्मान पत्र
मान मिला सम्मान मिला। अपनो में स्थान मिला । खिली कलम कमल सी, शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई । शब्द जागते...