शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2016

जीवन की परिभाषा


मन समझे मन की भाषा ।
 नयन पढ़ें नैनों की भाषा ।
  न कोई आशा न अभिलाषा।
 ज़ीवन की इतनी सी परिभाषा।
       ......  विवेक ...

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

मंज़िले बैचेन है तेरे आगमन को


थक न तू हार न तू
अपने हुनर को न बिसार तू
होंसलों को कांधे से न उतार तू
तू चाँद है अम्बर का
तू सूरज है नील गगन का
तू झोंका है मस्त पवन का
तू नीर है सागर के तन का
चल चला चल न रोक
अपने कदम को
मन्ज़िलें बेचैन तेरे आगमन को
....विवेक...

ख़ुशी माँ की


क्या चीज़ है यह आँसू ,,
गम में छलक पड़ते है ,,,
ख़ुशी में ढलक पड़ते है ,,,,
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( छोटी बेटी का 12th bio. school top 90% आने पर माँ की ख़ुशीयाँ ढलक पड़ी )
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""जननी ही संस्कारो की भी जनक होती है ,
मिले जो संस्कारो का शुभ फल
तो ख़ुशी आँखों से वयां होती है
बरसते है ख़ुशी के मोती
जुवान चुप, बात आँखों से वयां होती है
सच है माँ तो बस माँ होती है ""
May 25, 2015 at 1:37pm ·

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...