सोमवार, 18 मई 2015

ज़िन्दगी


जो छूट जाता है
बो सिखाती है
जिन्दगी ....
किताबो के नहीं....
कुछ किस्मत के...
कुछ कर्मो के...
सबक पड़ती है ...
जिन्दगी....
...विवेक...

मन का द्वंद


बिकल्प से संकल्प तक का
छोटा सा सफ़र,,,
इतना आसन नहीं
कदम कदम मन भटकता है
हर फरेव सच सा लगता है
मन का मन से द्वन्द .....
जेसे पंछी पिंजरे में बंद ....
.....विवेक...

कहना पड़ता है


सब बढ़िया है
कहना पड़ता है
अपना हर गम ,,,
खुद ही सहना पड़ता है,,,
कहने को तो बाटने से
बाँट जाते है गम ,,
दिल बहलाने के लिए
यह भी कहना पड़ता है .....
....विवेक....

रविवार, 17 मई 2015

होली की शुभ कामनाये


रंगने की धमकी ना दे, क्या तेरे रंगों से मै डर जाऊँगा |
रंगेगी मुझको तेरे हाथों से, मै भी तो रंग ले कर आऊँगा
कनक कंचनी काया तेरी, चमक रही है ऐसे जो चंदा सी
तेरी इस कंचनी काया को मै, मेरे रंग में रंग जाऊँगा |

होली की शुभकामनाएँ आप को

बेचूँगा


बेचूँगा अब शब्द
तौल तौल कर
अपने जज्बातों से
सीखा अब हमने भी यह ,
सत्ता के गलियारों से ,,,,
देख़ो कैसे लूट रहे ,
मीठी मीठी बातो से ,,
कर रहे भ्रमित ,
चिकने चुपड़े बादो से ,,
छले जा रहे कही ,
मर रहे अन्नदाता हर कही ,,
रंज लेश मात्र नही ,,,
कुछ अब पहुच रहे ,
घड़ियाली आँसू बहाने को ,,,
बेचूँगा अब शब्द तौल तौल कर ...
.....विवेक...

झुका लो पलके


मैं कौन हूँ जमाना तय क्या करेगा ।
 मेरा हुनर ही तो मेरा आईना होगा ।।
    ...

झुका लो पलके अपनी ,
 पैरो तले जमीं देखो।

 खुश रहो अपने हाल पर,
अपनी ही कमी देखो।

एक दिन जमीं भी,
 सितारों से,सजी होगी।

चांद की नजर भी,
जमीं होगी।

उतरेगा सूरज भी,
फलक से जमीं पर ।

 कदम चूमने तेरे।
उसकी भी तबियत होगी ।

.....विवेक दुबे "निश्चल"@...



कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...