हाँ मैं जादूगर शब्दों का ।
हाँ मग़र चुप रहता हूँ मैं ।
हाँ मैं कलाकार कलम का ।
हाँ मग़र लिखता नहीं हूँ मैं ।
हाँ सुनता हूँ बाते दुनियां की ।
हाँ पढ़ता हूँ कलम दुनियां की ।
हाँ सुन कर बाते दुनियां की ।
हाँ रह जाता हूँ खामोश ।
हाँ पढ़ कर कलम लोगो की ।
हाँ कलम उठती नहीं मेरी ।
....विवेक...