मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

मैं जादूगर शब्दों का ...


हाँ मैं जादूगर शब्दों का ।
हाँ मग़र चुप रहता हूँ मैं ।
हाँ मैं कलाकार कलम का ।
हाँ मग़र लिखता नहीं हूँ मैं ।
हाँ सुनता हूँ बाते दुनियां की ।
हाँ पढ़ता हूँ  कलम दुनियां की ।
हाँ सुन कर बाते दुनियां की ।
हाँ रह जाता हूँ खामोश ।
हाँ पढ़ कर कलम लोगो की ।
हाँ कलम उठती नहीं मेरी ।
   ....विवेक...

रविवार, 6 दिसंबर 2015

शब्दों का तम


हर ले तू शब्दों के तम ।
 उजियारा भर हर दम ।
                 थाम कर कलम ,
                 कर नव सृजन ।
हर पल हर दम ।
उकेर पीड़ाओं को भी ,
        जीवन रंग में डुबो कलम ।
         हर ले तू शब्दों के तम ।
अवसादों और निराशाओं को ।
छू कर उन अभिलाषाओं को।
     आशाओं से खुशियों के भाव बना ।
     अपने हृदय मन उदगार उठा।
शब्दों का फिर आकार सजा ।
         तू लिखता जा तू लिखता जा ।
        हर पल हर क्षण कर बस सृजन ।

हर ले तू शब्दों के तम ।
  कर सृजन तू कर सृजन ।
...... विवेक दुबे "निश्चल"@.....

ब्लॉग पोस्ट 10/10/17

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...