गुरुवार, 13 अगस्त 2015

मातृ भूमि तुझे प्रणाम


हे मातृभूमि तुझे प्रणाम ।
वीर शहीदों से ही हो मेरे काम ।।
मैं भी आ जाऊँ माँ तेरे काम ।
तेरी सीमाओं का रक्त से अपने अभिषेक करूँ ।।
तेरी माटी को अपने शीश धरूँ ।
प्रण प्राणों से हो रक्षा तेरी ऐसा एक काम करूँ ।।
तुझको तकती हर बुरी नजर के सीने में बारूद भरूँ ।
हे मातृ भूमि तुझे प्रणाम करूँ ।।
वीर शहीदों जेसे मैं भी कुछ काम करूँ ।
 तेरे कदमो में अपने प्रण प्राण धरूँ ।।
       .....जय हिन्द ......
         .....विवेक....

अब आजादी 70 के पास


आजादी अब बृद्ध हो रही
70 के पास पहुच रही
पर देखो इसकी नादानी
 बच्चों सी आज भी रो रही
ओ आजादी चुप हो जा
 न आँसू बहा
शायद तेरी मेरी हम सबकी
 नियति यही
वारिस आज तक
 कोई मिला नही
 जो वारिस बन आया
 उसने अपना ही कानून चलाया
न तेरा कुछ हो पाया
 न मेरा कुछ हो पाया
       .....विवेक...

हे माँ भारती


आतंक के साये में तू सिसक रही माँ।
सुलग रही छाती तेरी धधक रही माँ ।
तेरे वारिसो की रोटियां सिक रही माँ।
आजाद भगत सुभाष फिर जनना होगा माँ।
तब ही कोटि कोटि जन का भला होगा माँ।
 आजादी का अर्थ हरा भरा होगा माँ।
     .....विवेक...

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...