गुरुवार, 18 जून 2020

नमी निगाहों की

एक नमी निगाहों की,अपनो से कभी रूठने नही देती ।
एक नमी निगाहों की, ज़ख्म बात के सूखने नही देती ।
कर चलती है साफ़, राह डगर निग़ाह आइने की तरह ,
 होंसला मंज़िल से पहले ,कभी कहीं टूटने नही देती ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@..

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...