एक नमी निगाहों की,अपनो से कभी रूठने नही देती ।
एक नमी निगाहों की, ज़ख्म बात के सूखने नही देती ।
कर चलती है साफ़, राह डगर निग़ाह आइने की तरह ,
होंसला मंज़िल से पहले ,कभी कहीं टूटने नही देती ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@..
एक नमी निगाहों की, ज़ख्म बात के सूखने नही देती ।
कर चलती है साफ़, राह डगर निग़ाह आइने की तरह ,
होंसला मंज़िल से पहले ,कभी कहीं टूटने नही देती ।
..... विवेक दुबे"निश्चल"@..