शनिवार, 28 मई 2016

अँधेरों से अँधेरे छीन लें हम जरा


अंधेरों से अँघेरे छीन ले हम जरा ।
चराग़-ए-रौशनी बाँट दे हम जरा ।
 वक़्त से न जीत पाएंगे जानते है हम ।
 वक़्त से ही वक़्त को सींच लें हम जरा ।
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 न थमें कदम मुश्किलो में कभी ।
 कदम-दर-कदम मंज़िलें नाप लें जरा
 हसरतें न करें मुक़ाम हम कभी ,
 अपने होंसलों को भी भांप लें जरा ।
   ..... विवेक ......

बुधवार, 25 मई 2016

साथ चले जो तू ...


साथ चले जो तू चाँद फ़तह कर लूँ मैं ।
तेरे ही सहारे से अम्बर को जमीं कर दूँ मैं  ।
तेरी ही दुआओं से पर्वत बाँहों में भर लूँ मैं ।
तेरे ही इरादों से रुख हवाओं के पलट दूँ मैं ।
तेरी ही पनाहों में सागर जल अंजुली भर लूँ मैं ।
साथ तेरा जो हो खुद को सिकन्दर कर लूँ मैं ।
     .... विवेक ...

जीवन मृत्यु से हारा है


शांत निशा संग अँधियारा है
 दिनकर संग उजियारा है
 जीवनपथ पर चलते चलते
 जीवन मृत्यु से हारा है
    ..... विवेक ..

नहीं परवाह


नहीं परवाह मान की सम्मान की ।
फ़िक्र है मुझे बस स्वाभिमान की ।
मैं नहीं मांगता दुनियाँ से कुछ भी ,
उसे तो फ़िक्र है दोनों जहान की ।
...... विवेक .....

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...