1052
वो कुछ यूँ मेरा हाल पूछते है ।
तुम क्यों हो खुशहाल पूछते है ।
सुना के तज़किरा मुफ़्लिशि का,
हर जवाब का सवाल पूछते है ।
....."निश्चल"@...
1053
ये ख़्याल कुछ खुशनुमा से ।
रह गये कुछ अधूरे गुमा से ।
लिपटता ही रहा उजाला ,
हर जलती हुई शमा से ।
...."निश्चल"@..
1054
छूट गया सब पीछे धीरे धीरे ,
उम्मीदें उम्मीदों से हार चली हैं ।
खुशियों से खुशियों की अनबन,
खुशियाँ मन की मेहमान बनी हैं ।
....."निश्चल"@...
1055
बहते पानी में पत्थरो का क़तरा क़तरा यूँ घुल गया है ।
रेशा रेशा पत्थरों से निकल पानी में मिल गया है ।
क्युँ संग से नवाजा है दुनीयाँ ने संग को "निश्चल",
जब संग भी मासूम से पानी में घुल गया है।
..."निश्चल"@....
1056
साँझ के दामन में एक चाँदनी खिली सी ।
स्याह के सफ़र को यूँ रोशनी मिली सी ।
कटती रही उम्र खामोश मुसलसल यूँ ही ,
रात के किनारों पे फ़र्ज़ जिंदगी ढली सी ।
...."निश्चल"@....
1057
ज़िंदगी आगर एक सज़ा है ।
तो इसका भी एक मज़ा है ।
तू न कर शिक़वा किसी से,
शायद उसकी ये ही रज़ा है ।
....."निश्चल"@.
1058
सब कुछ है और कुछ भी नहीं है ।
ख्वाहिशों की जमीं खो रही कहीं है ।
न टूटा सितारा फलक से मेरे लिए ,
ले दामन दुआओं का खड़े हम यही है ।
....."निश्चल"@...
1059
शिकवों को भी शिकायत न रही ।
गिलो को भी ग़म की चाहत न रही ।
जागते रहे चश्म ख्वाब के इंतज़ार में,
निगाहों को तसब्बुर की आदत न रही ।
...."निश्चल"@...
1060
मिरी तिश्नगी भी एक कहानी कहेगी ।
जिंदगी मुझे ये उम्र दीवानी कहेगी ।
पढ़ लेगा ज़माना खामोशी से मुझे
निगाह निगाह जिसे जुवानी कहेगी ।
....."निश्चल"@..,
1061
इज़हार से इकरार हो न सका ।
ख्याल खुमार में शुमार हो न सका ।
करते रहे इश्क़ ता-उम्र ख़ुद ही से,
और ख़ुद पे इख़्तियार हो न सका ।
,...."निश्चल"@..
डायरी 7
Blog post 2/5/22