मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

कुछ ख्याल

 1052

वो कुछ यूँ मेरा हाल पूछते है ।

तुम क्यों हो खुशहाल पूछते है ।

सुना के तज़किरा मुफ़्लिशि का,

हर जवाब का सवाल पूछते है ।

....."निश्चल"@...

1053

ये ख़्याल कुछ खुशनुमा से ।

रह गये कुछ अधूरे गुमा से ।

लिपटता ही रहा उजाला ,

 हर जलती हुई शमा से ।

     ...."निश्चल"@..

1054

छूट गया सब पीछे धीरे धीरे ,

उम्मीदें उम्मीदों से हार चली हैं ।

खुशियों से खुशियों की अनबन,

खुशियाँ मन की मेहमान बनी हैं ।

....."निश्चल"@...

1055

बहते पानी में पत्थरो का क़तरा क़तरा यूँ घुल गया है ।

रेशा रेशा पत्थरों से निकल पानी में मिल गया है ।

 क्युँ संग से नवाजा है दुनीयाँ ने संग को "निश्चल",

 जब संग भी मासूम से पानी में घुल गया है। 

           ..."निश्चल"@....

1056

साँझ के दामन में एक चाँदनी खिली सी ।

स्याह के सफ़र को यूँ रोशनी मिली सी ।

कटती रही उम्र खामोश मुसलसल यूँ ही ,

 रात के किनारों पे फ़र्ज़ जिंदगी ढली सी ।

...."निश्चल"@....

1057

 ज़िंदगी आगर एक सज़ा है ।

 तो इसका भी एक मज़ा है ।

 तू न कर शिक़वा किसी से,

  शायद उसकी ये ही रज़ा है ।

   ....."निश्चल"@.

1058

सब कुछ है और कुछ भी नहीं है ।

ख्वाहिशों की जमीं खो रही कहीं है ।

न टूटा सितारा फलक से मेरे लिए ,

ले दामन दुआओं का खड़े हम यही है ।

....."निश्चल"@...

1059

शिकवों को भी शिकायत न रही ।

गिलो को भी ग़म की चाहत न रही ।

 जागते रहे चश्म ख्वाब के इंतज़ार में,

निगाहों को तसब्बुर की आदत न रही ।

...."निश्चल"@...

1060

मिरी तिश्नगी भी एक कहानी कहेगी ।

जिंदगी मुझे ये उम्र दीवानी कहेगी ।

 पढ़ लेगा ज़माना खामोशी से मुझे

 निगाह निगाह जिसे जुवानी कहेगी ।

....."निश्चल"@..,

1061

   इज़हार से इकरार हो न सका ।

 ख्याल खुमार में शुमार हो न सका ।

 करते रहे इश्क़ ता-उम्र ख़ुद ही से,

 और ख़ुद पे इख़्तियार हो न सका ।

      ,...."निश्चल"@..

डायरी 7

Blog post 2/5/22

तू चला चल

 1048

एक राह मुसलसल तू चला चल ।

राह की ठोकरों से तू मिला चल ।

न कर गुमान हुनर के गुरुर पर ,

तू होंसले रास्तों को दिला चल ।

माना नही मंजिल नसीब में उसके ,

इरादों को तू उसके न हिला चल ।

...."निश्चल"@..

1049

खो रहा कल में आज है ।

सुर कही तो कही साज है ।

है मुक़ाम पर मुक़ाम से दूरी ,

जिंदगी का यही तो राज है ।

...."निश्चल"@.

1050

जब कल गुजर जाता है ।

तब कल नजर आता है ।

चला है मुसलसल सफ़र,

अब कल किधर लाता है ।

..."निश्चल"@..

1051

 हँसी का हर हिसाब ले गया ।

यूँ वक़्त अपना रुआब दे गया ।

खो गई हक़ीक़त दुनियाँ की भीड़ में,

 सफर हर मोड़ पर ठहराब दे गया ।

    ...विवेक दुबे"निश्चल"@...

Blog post 4/4/23

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...