बुधवार, 24 अक्तूबर 2018

शरद पूर्णिमा

रात श्याम मेरे शरद विराजेंगे ।
श्यामा चरणन में अहमं बिसारेंगे ।

भोज लगाऊं मैं छीर खीर का ,
माखन मिश्री जिस पर साजेंगे ।

 पीयूष सींचता मधुकर जिस पर ,
 श्यामा चरणामृत फिर हम पावेंगे ।

रात श्याम मेरे शरद विराजेंगे ।
श्यामा चरणन में अहमं बिसारेंगे ।

.... विवेक दुबे"निश्चल"@...


कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...