चलती राहों का एक मुहाना होना है ।
गहरी रातों का भोर सुहाना होना है ।
इस दुनियाँ का होकर देख लिया ,
चल अब तुझको खुद का होना है ।
अहसासों की इन उलझी डोरों में ,
डोर कोई अब नई नही पिरोना है ।
जीवन के मनके मन के धागों से ,
अब जीवन मन में ही पिरोना है ।
चल अब तुझको खुद का होना है ।
अहंकार के इस बियावान वन में ,
अब स्वाभिमान तुझे संजोना है ।
हार रहा तू नाते रिश्ते चलते चलते ,
जीत तले स्वयं को स्वयं का होना है ।
इस दुनियाँ का होकर देख लिया ,
राग नही हो कोई द्वेष नही मन में ,
अब राग रहित ही तुझको होना है ।
खोकर दुनियाँ को दुनियाँ में ही ,
अब ख़ुद को ख़ुद में ही खोना है ।
भटक रहा जो मन चलते चलते ,
"निश्चल"मन अब तुझको होना है ।
इस दुनियाँ का होकर देख लिया ,
चल अब तुझको खुद का होना है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
गहरी रातों का भोर सुहाना होना है ।
इस दुनियाँ का होकर देख लिया ,
चल अब तुझको खुद का होना है ।
अहसासों की इन उलझी डोरों में ,
डोर कोई अब नई नही पिरोना है ।
जीवन के मनके मन के धागों से ,
अब जीवन मन में ही पिरोना है ।
चल अब तुझको खुद का होना है ।
अहंकार के इस बियावान वन में ,
अब स्वाभिमान तुझे संजोना है ।
हार रहा तू नाते रिश्ते चलते चलते ,
जीत तले स्वयं को स्वयं का होना है ।
इस दुनियाँ का होकर देख लिया ,
राग नही हो कोई द्वेष नही मन में ,
अब राग रहित ही तुझको होना है ।
खोकर दुनियाँ को दुनियाँ में ही ,
अब ख़ुद को ख़ुद में ही खोना है ।
भटक रहा जो मन चलते चलते ,
"निश्चल"मन अब तुझको होना है ।
इस दुनियाँ का होकर देख लिया ,
चल अब तुझको खुद का होना है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...