रविवार, 14 फ़रवरी 2016

नमन नमन तुम्हें नमन


( वीर जवान तुम्हे अर्पित श्रद्धा सुमन)
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नहीं चली थी कोई गोली
फिर भी
वो सुहागन विधवा हो ली
खोया माँ ने लाल
अनाथ हुआ नौनिहाल
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पूछो पूछो उनसे एक सवाल
अपनी सुख सुविधा पर
खूब लुटाते हो
अपने लिए हर सुख सुबिधा जुटाते हो
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माँ के इन सच्चे बेटों को
तुम क्या इतना कर पाते हो
जो आज भी जुगाड़ से
अपने हथियार चलाते हैं
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... विवेक ...
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सज़ल नयन करते नमन
मेरे यह श्रद्धा सुमन
अर्पित करता मैं श्रद्धांजलि
नमन नमन कोटिशः नमन
.... विवेक ,...
February 11

हे माँ ज्ञानदा ऐसा वर दे


               
               


                  हे माँ ज्ञानदा ऐसा वर दे ।
                  हृदय ज्ञान प्रकाश से भर दे ।

          इस कलम में हो तेरा वास ।
          मेरे शब्दों में तू आशीष भर दे।

                         मार्ग सत्य पर चलता जाऊँ ।
                          सत्य से मैं न डिग पाऊँ ।

          लिख जाऊँ कुछ ऐसा ।
          शब्द अमर सा हो जाऊँ ।

                                             ....विवेक...

हे माँ ज्ञानदा


माँ ज्ञानदा ज्ञान दे ,
 शब्दों का वरदान दे ।
 कहूँ न अभिमान से ,
 कलम का स्वाभिमान दे ।
   .... विवेक ....

मधु मास आया है


मधु मास आया है
कलियों पर यौवन छाया है
 भंवरों से मिलने को
 आतुर कलीयों की काया है
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आज मन बौराया है
 भंवरों ने प्रणय गान गया है
 धरा सजी दुल्हन सी
 देख गगन भी शरमाया है
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 देख श्रंगार धरा का
 चन्दा ने खुद को पिघलाया है
 पुष्पित सुरभित आज धरा
 चन्दा ने प्रणय रस बरसाया है
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   ..... विवेक ....


कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...