वेश रहे न अबशेष रहे ।
इतना ही बस शेष रहे ।
बीते कल से पल का ,
हृदय नही कलेश रहे ।
शेष रहे न विशेष रहे ।
इतना ही आशेष रहे ।
रीत राग बंधन न कोई ,
अन्तर्मन से महेश रहे ।
जय रहे न जयेश रहे ।
चित्त विनय प्रवेश रहे ।
जय पराजय तजकर ,
निश्चल वो दिनेश रहे ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...
इतना ही बस शेष रहे ।
बीते कल से पल का ,
हृदय नही कलेश रहे ।
शेष रहे न विशेष रहे ।
इतना ही आशेष रहे ।
रीत राग बंधन न कोई ,
अन्तर्मन से महेश रहे ।
जय रहे न जयेश रहे ।
चित्त विनय प्रवेश रहे ।
जय पराजय तजकर ,
निश्चल वो दिनेश रहे ।
... विवेक दुबे"निश्चल"@...