शनिवार, 19 नवंबर 2016

रंगोली प्रकाशन



बचपन


 
 बीत गया तन ।
 रीत गया मन
ज्यों ज्यों बीता ,
बचपन बचपन ।
.
 तन की तन से अनबन ।
 मन की मन से उलझन ।
ज्यों ज्यों बीता ,
 बचपन बचपन ।
 .
ग़ुम हुआ कुछ यूँ ।
 वो नटखट तन मन ।
ज्यों ज्यों बीता ,
बचपन बचपन ।
 ........ विवेक ......

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...