ये मैं नही मेरे विचार हैं ।
मैं तो समय के पार है ।
न रहकर भी रहा यही जो,
सत्य का यही आकार है ।
छाते मेघ विचार निरन्तर ,
विचारों का अंनत विस्तार है ।
देखे शान्त मन विचारों को ,
तब मन चिंतन करे शृंगार है ।
... विवेक दुबे "निश्चल"@..
मैं तो समय के पार है ।
न रहकर भी रहा यही जो,
सत्य का यही आकार है ।
छाते मेघ विचार निरन्तर ,
विचारों का अंनत विस्तार है ।
देखे शान्त मन विचारों को ,
तब मन चिंतन करे शृंगार है ।
... विवेक दुबे "निश्चल"@..