*हिंदी दिवस पर कुछ शब्द*
अनुपम सुँदर पर्व है हिंदी ।
सकल विश्व का गर्व है हिंदी ।
संस्कृत है जननी जिसकी ,
अपने आप में पूर्ण है हिंदी ।
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शब्दों का भंडार है हिंदी।
विस्तृत विशाल है हिंदी ।
देती है सबको सहारा ,
माँ सा दुलार है हिंदी ।
छंद रचो कोई गीत रचो ।
सु-कोमल कोई प्रीत रचो ।
प्राण प्रिय प्रियतमा सी ,
मातृ भाषा की रीत रचो ।
सु-कुमारी जिस भाषा की ,
उस भाषा के अनुरूप रचो ।
रूप झलकता माँ सा जिसमे ,
उस माँ के आशीष रचो ।
एक सभ्यता है हिंदी ।
रची प्रकृति में हिंदी ।
है हर हलचल में हिंदी ।
जल कलकल में हिंदी ।
है शब्दों का भंडार हिंदी ।
सकल सँसार यह हिंदी ।
एक दुलार है हिंदी ।
सुहागन सा श्रृंगर हिंदी ।
नही है बिकलांग यह '
पूर्ण अवतार अपनी हिंदी ।
सँस्कृत देवनागरी से पाती '
आधार है अपनी हिंदी ।
....विवेक दुबे©....
*हिंदी दिवस मङ्गलमय हो*