शनिवार, 7 अक्तूबर 2023

मुक्तक

 

आदमी को मारता है आदमी ।

जो चाहतों से हारता है आदमी।

खोता है चैन,   चैन के वास्ते ,

हसरतों को बुहारता है आदमी।

.....विवेक दुबे"निश्चल"@..


बिन छाँया के विश्राम नही होते ।

 बिन आशीषों के काम नही होते ।

 न हो हाथ पीठ पर अपनों का ,

 तो विजयी समर संग्राम नही होते ।

    ,...... "निश्चल"@...

राह भटकना तो एक बहाना था ।

मुझको तो तुझ तक आना था ।

खोज रहा था राहों में मंज़िल को,

मुझको ख़ुद में तुझ को पाना था ।

.."निश्चल"@...


आज सा हर कल मिले जरूरी तो नही ।

सुकर्मो का सुफल मिले जरूरी तो नही ।

प्रश्नों की एक किताब सी है ये जिंदगी ,

सारे प्रश्नों का हल मिले जरूरी तो नही ।

    .....विवेक दुबे"निश्चल"@....


उजली साँझ भी,गुम होते मुक़ाम सी।

 सितारों की चाह में ,चाँद पैगाम सी ।

सफ़र रोशनी भी , स्याह मुक़ाम सी।

ठौर बस रात की,भोर नए मुक़ाम सी।

...."निश्चल"@....


 Blog post 9/10/23

क्या करूँ इन नफीसों का

  क्या करूँ इन नफीसों का ।

रिश्ता है जिनसे हबीबों सा ।

चले है राह, क़दम-दर-कदम,

ख़ुलूस है मगर रक़ीबों सा ।


...विवेक दुबे"निश्चल"@...

नफ़ीस/ सुंदर

हबीब/ दोस्त/मशूक

खुलूस/सम्बंध /सच्चाई/निश्छलता

रक़ीब/ प्रतिद्वंदी/प्रेमिका का दूसरा प्रेमी

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...