गुरुवार, 10 मार्च 2016

महिला दिवस


महिला दिवस पर दो शब्द मेरे
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धरा है तू वसुंधरा है तू
अम्बिका जगदम्बिका है तू
तेरे बिन तो शिव को भी
न सत्कार स्वीकार हुआ
तेरी माया से ही
सम्पूर्ण ब्रम्हांड साकार हुआ।
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होंसला है तू आसरा है तू
सृजन है तू समर्पण है तू
शक्ति का कण कण है तू
बस और बस नमन है तू
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.... विवेक ......

सोमवार, 7 मार्च 2016

मैं कहता हूँ


दुनिया करती है अंधेरों की बात,
 मैं कहता हूँ ।
कभी उजालों के जिक्र कर के देखो
.
अंधेरो में घात करते हैं हाथ को हाथ,
 मैं कहता हूँ ।
कभी उजालों में नजर मिला के देखो।
.
फ़िक्र है उन्हें कल की बहुत ,
 मैं कहता हूँ ।
जरा आज सजा कर देखो ।
    .... विवेक ....
.
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रविवार, 6 मार्च 2016

इन शब्दों के सफ़र में


इन शब्दों के सफ़र में ...
 वो यादों की ख़लिश,
वो मुलाकातों की तपिश हो ।
 वो तन्हा तन्हा रात,
 वो यादों का सवेरा हो।
 लिख दूँ हर जज्बात ,
  हर बात में कशिश हो ।
हों वो खुशियों के पल ,
 वो रंजिशों के रंग हों ।
 शब्दों का यह सफ़र ,
  हर पल एक ग़ज़ल हो ।
 यूँ ज़िन्दगी के आस पास ,
 यूँ ज़िन्दगी के साथ साथ हो।
 इन शब्दों के सफ़र में ....
  ....विवेक....

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...