आजादी अब बृद्ध हो रही
70 के पास पहुच रही
पर देखो इसकी नादानी
बच्चों सी आज भी रो रही
ओ आजादी चुप हो जा
न आँसू बहा
शायद तेरी मेरी हम सबकी
नियति यही
वारिस आज तक
कोई मिला नही
जो वारिस बन आया
उसने अपना ही कानून चलाया
न तेरा कुछ हो पाया
न मेरा कुछ हो पाया
.....विवेक...
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