मंगलवार, 2 जून 2015

क्या होती है माँ


देख क्या होती है माँ
 बच्चों की खुशियों पर क्यों रोती है माँ
 दूनियाँ को ख़ुशी के नजर आये बो
पर माँ को पल याद आये बो
 धरा था जिस वक़्त गर्भ में
 जना था वाजी लगा जान की
नही की परवाह अपने प्राण की
 सारे पल आज याद आये बो
दूनियाँ अपने दर्द कैसे बताये बो
 बस अपनी आँखों से मोती बरसाये बो
 यह बात तब और भी गहरी होती है
 जब बो बेटिओं की माँ होती है
 बो ताने याद आते है
 जो बेटी जनने पर
 दूनियाँ से बिन माँगे मिल जाते है मिलते ही जाते है
....विवेक...

4 टिप्‍पणियां:

सविता मिश्रा 'अक्षजा' ने कहा…

खूबसूरत

विवेक दुबे"निश्चल" ने कहा…

बस आपकी नवाजिशे
यह होसला अफ़ज़ाई
और क्या चाहिए मुझे

Unknown ने कहा…

सुन्दर रचना

विवेक दुबे"निश्चल" ने कहा…

सह्रदय आभार आदरणीया

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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