रविवार, 23 अगस्त 2015

अंश माता पिता


माँ सरस्वती की कृपा से,
मुझ में पिता का बो अंश आया है,
मैने अपने आप में पिता जैसा
रचनाकार भी पाया है ,
मुझ पर "नेहदूत" का ,नेह बरसता
माँ सरस्वती की कृपा
मिलती बारम्बार
यही मेरा "सौभाग्य "

माँ मनोरमा की
मनोरम कृपा भी ,
साथ साथ आई है
जिसके कारण सारी दुनियां
बस भाई ही भाई है ,

है माँ बस इतना करना उपकार
मिले जन्म जन्म तक
यही माँ, यही पिता ,
बारम्बार हर बार, बार बार,
हो माँ तेरा उपकार,
.....विवेक...

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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