रविवार, 23 अगस्त 2015

नीव का पत्थर ....


बने महल और अटारे
मंदिर मस्जिद और गुरुद्वारे
कही ताज महल खड़ा
कही मीनार सर उठा रही
इनमे लगे हर पत्थर को देख
दुनिया दांतों तले अंगुली दवा रही
देख देख करती वाह वाह
क्या कला है ..क्या कोशल है ..
पर .......
देखा न कभी सोचा किसी ने
वो नीब के पत्थर कैसे होंगे
क्या गुजर रही होगी उन पर
किस हाल में होंगे .....
जो दफन हो गए
सदा सदा के लिए
इन उकेरे गए
नक्काशी दार
पत्थरौ की खातिर
आज जिन्हें देख दुनिया
सजदे में झुक जाती है
नीब के पत्थर उस
पत्थर को भुला कर . ..
........... विवेक....

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