देखो कितना बदल गये अब हम गांधी ,
जो थे आदर्श तेरे प्रण प्राण गांधी ।
कुचल रहे उन्हें हम सरेआम गांधी ,
था पिरोया एक माला में सबको गांधी ।
आज हो रहे अपनों के अपनों से संग्राम गांधी ,
यूँ तो हो राष्ट्र पिता तुम गांधी ।
आते बस दो दिन तुम याद गांधी ,
जिन नोटों पर तुम स्थान पाये गांधी ।
बही नोट आज हुए बदनाम गांधी ,
शकुनि की चलें फिर चल रहीं गांधी ।
दाव लग रही द्रोपती हर बार गांधी ,
मचा महाभारत सा फिर संग्राम गांधी ।
एक बार तुम फिर आ जाओ गांधी ,
अपने सपनों को साकार बना जाओ गांधी ।
( बापू के जन्म दिवस कुछ सोचे सब मिल जुल कर )
....विवेक....
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