शनिवार, 28 नवंबर 2015

राधिका मन सी प्यासी


राधिका मन सी मैं प्यासी ।
बन कृष्ण सखा की दासी ।
रच जाऊं मन मे ।
बस जाऊं नैनन मे।
मिल जाऊं धड़कन मे ।
छा जाऊं चितवन मे ।
न भेद रहे फिर कोई ।
इस मन मे उस मन मे ।
...विवेक...

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