मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

मैं जादूगर शब्दों का ...


हाँ मैं जादूगर शब्दों का ।
हाँ मग़र चुप रहता हूँ मैं ।
हाँ मैं कलाकार कलम का ।
हाँ मग़र लिखता नहीं हूँ मैं ।
हाँ सुनता हूँ बाते दुनियां की ।
हाँ पढ़ता हूँ  कलम दुनियां की ।
हाँ सुन कर बाते दुनियां की ।
हाँ रह जाता हूँ खामोश ।
हाँ पढ़ कर कलम लोगो की ।
हाँ कलम उठती नहीं मेरी ।
   ....विवेक...

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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