क्या चीज़ है यह आँसू ,,
गम में छलक पड़ते है ,,,
ख़ुशी में ढलक पड़ते है ,,,,
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( छोटी बेटी का 12th bio. school top 90% आने पर माँ की ख़ुशीयाँ ढलक पड़ी )
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""जननी ही संस्कारो की भी जनक होती है ,
मिले जो संस्कारो का शुभ फल
तो ख़ुशी आँखों से वयां होती है
बरसते है ख़ुशी के मोती
जुवान चुप, बात आँखों से वयां होती है
सच है माँ तो बस माँ होती है ""
May 25, 2015 at 1:37pm ·
1 टिप्पणी:
सचमुच... माँ तो सिर्फ माँ होती है। बहुत अच्छी रचना। बधाई व शुभकामनाएं
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