रविवार, 6 मार्च 2016

इन शब्दों के सफ़र में


इन शब्दों के सफ़र में ...
 वो यादों की ख़लिश,
वो मुलाकातों की तपिश हो ।
 वो तन्हा तन्हा रात,
 वो यादों का सवेरा हो।
 लिख दूँ हर जज्बात ,
  हर बात में कशिश हो ।
हों वो खुशियों के पल ,
 वो रंजिशों के रंग हों ।
 शब्दों का यह सफ़र ,
  हर पल एक ग़ज़ल हो ।
 यूँ ज़िन्दगी के आस पास ,
 यूँ ज़िन्दगी के साथ साथ हो।
 इन शब्दों के सफ़र में ....
  ....विवेक....

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