बुधवार, 25 मई 2016

साथ चले जो तू ...


साथ चले जो तू चाँद फ़तह कर लूँ मैं ।
तेरे ही सहारे से अम्बर को जमीं कर दूँ मैं  ।
तेरी ही दुआओं से पर्वत बाँहों में भर लूँ मैं ।
तेरे ही इरादों से रुख हवाओं के पलट दूँ मैं ।
तेरी ही पनाहों में सागर जल अंजुली भर लूँ मैं ।
साथ तेरा जो हो खुद को सिकन्दर कर लूँ मैं ।
     .... विवेक ...

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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