शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017

ममता माँ की


ममता जब जब जागी थी ।
 माता की टपकी छाती थी ।
 दे शीतल छांया आँचल की ,
 माता सारी रात जागी थी । 

  देख अपलक निगाहों से ,
  गंगा यमुना अबतारी थी ।
  स्तब्ध श्वास थी प्राणों में ,
  अपनी श्वासों से हरी थी ।

   ....."निश्चल" विवेक दुबे ©......


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