शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017

माँ



माँ तो बस माँ होती है ।
 हर साँस में दुआ होती है ।
 न कोई छल न कोई कपट ।
 बस संसार में माँ ही निष्कपट ।
 हर लेती हर संकट विकट ।
 लगाकर वो बाजी प्राण की ।
 नहीं कोई चाह मान सम्मान की।
 वो बस मूरत वात्सल्य भाव की।
 चाहत बस ममता दुलार की ।
  नही चाहत उपकार भाव की।
     ....विवेक....

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