माँ तो बस माँ होती है ।
हर साँस में दुआ होती है ।
न कोई छल न कोई कपट ।
बस संसार में माँ ही निष्कपट ।
हर लेती हर संकट विकट ।
लगाकर वो बाजी प्राण की ।
नहीं कोई चाह मान सम्मान की।
वो बस मूरत वात्सल्य भाव की।
चाहत बस ममता दुलार की ।
नही चाहत उपकार भाव की।
....विवेक....
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