न कर उम्मीद और आस किसी से ,
तलाश कर तू ख़ुद को ही ख़ुदी में ।
न किसी उम्मीद न आस में मैं ।
हूँ ख़ुद ख़ुद की तलाश में मैं ।
कोई उसे तब क्या दुआ देगा ।
साहिल ही जब जिसे डुबा देगा ।
मुंतज़िर हूँ मैं दुआओं का
तुझे मैं क्या दुआयें दूँ ।
ख़्वाब ओ ख्यालों में कुछ कमी सी रही ।
पूरा न हुआ आसमां अधूरी ये जमीं सी रही ।
.."निश्चल"@..
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