शुक्रवार, 11 अगस्त 2023

न कर उम्मीद

 न कर उम्मीद और आस किसी से ,

तलाश कर तू ख़ुद को ही ख़ुदी में ।



न किसी उम्मीद न आस में मैं ।

 हूँ ख़ुद ख़ुद की तलाश में मैं ।


  कोई उसे तब क्या दुआ देगा ।

 साहिल ही जब जिसे डुबा देगा ।


 मुंतज़िर हूँ मैं दुआओं का 

 तुझे मैं क्या दुआयें दूँ ।


ख़्वाब ओ ख्यालों में कुछ कमी सी रही ।

पूरा न हुआ आसमां अधूरी ये जमीं सी रही ।

.."निश्चल"@..

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