रविवार, 17 मई 2015

झुका लो पलके


मैं कौन हूँ जमाना तय क्या करेगा ।
 मेरा हुनर ही तो मेरा आईना होगा ।।
    ...

झुका लो पलके अपनी ,
 पैरो तले जमीं देखो।

 खुश रहो अपने हाल पर,
अपनी ही कमी देखो।

एक दिन जमीं भी,
 सितारों से,सजी होगी।

चांद की नजर भी,
जमीं होगी।

उतरेगा सूरज भी,
फलक से जमीं पर ।

 कदम चूमने तेरे।
उसकी भी तबियत होगी ।

.....विवेक दुबे "निश्चल"@...



कोई टिप्पणी नहीं:

कलम चलती है शब्द जागते हैं।

सम्मान पत्र

  मान मिला सम्मान मिला।  अपनो में स्थान मिला ।  खिली कलम कमल सी,  शब्दों को स्वाभिमान मिला। मेरी यूँ आदतें आदत बनती गई ।  शब्द जागते...