रविवार, 17 मई 2015

बेचूँगा


बेचूँगा अब शब्द
तौल तौल कर
अपने जज्बातों से
सीखा अब हमने भी यह ,
सत्ता के गलियारों से ,,,,
देख़ो कैसे लूट रहे ,
मीठी मीठी बातो से ,,
कर रहे भ्रमित ,
चिकने चुपड़े बादो से ,,
छले जा रहे कही ,
मर रहे अन्नदाता हर कही ,,
रंज लेश मात्र नही ,,,
कुछ अब पहुच रहे ,
घड़ियाली आँसू बहाने को ,,,
बेचूँगा अब शब्द तौल तौल कर ...
.....विवेक...

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