देख क्या होती है माँ ।
बच्चों की खुशियों पर क्यों रोती है माँ ।।
दुनियाँ को ख़ुशी के नजर आये आँसू वो ।।
पर माँ को पल याद आये वो ।
धरा था जिस वक़्त गर्भ में ,
जना था वाजी लगा जान की ।।
नही की परवाह अपने प्राण की ।
सारे पल आज याद आये वो ।।
दुनियाँ को अपने दर्द कैसे बताये वो ।
बस अपनी आँखों से मोती बरसाये वो ।।
यह बात तब और भी गहरी होती है ।
जब वो बेटीओ की माँ होती है ।।
वो ताने याद आते है ,
जो बेटी जनने पर ।
दुनियाँ से बिन माँगे मिल जाते है ,
मिलते ही जाते है ।।
.....विवेक....
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