दबा हुआ हूँ अहसासों से ;
कुछ अपनी ही साँसों से ।
हर पल घिसता हूँ पिसता हूँ ...!!
अपनी साँसों से भी डरता हूँ ....!!
न जीता हूँ ; न मरता हूँ .......!!
कुछ ज़िंदा अरमानों के बोझों से ।
जब चलता हूँ फिरता हूँ ....!!
सौ -सौ बार गिरता हूँ , ....!!
फिर उठकर चल पड़ता हूँ ....!!
लड़ता हूँ कर्ज़ों से कुछ फ़र्ज़ों से ।
चलता हूँ ,बस चलता हूँ ....!!
चलता ही रहता हूँ ............!!
अदा नही हुआ जीवन की रस्मों से ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@....
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