रात तो कट जाती है।
मौत ही नही आती है ।
आती भी दरवाज़े पर ,
दस्तक देकर चली जाती है ।
रस्में जिम्मेदारियों की और निभा ,
कह जाती , वक़्त अभी बाँकी है ।
पूरी नही लिखी तूने अपनी कहानी ,
आँख हड़बड़ाकर इतने में खुल जाती है ।
एक सिलसिला कल आज और कल का ,
ज़िन्दगी क्या है बात समझ आ जाती है ।
..
हर पल नव सृजन का बस ये सोचकर ,
जिंदगी भी एक लुभाबनी कहानी है ।
जुट जाता है पूरे जोश-ओ-खरोश से ,
ज़िन्दगी की हर रस्म तो निभानी है ।
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!!...विवेक दुबे"निश्चल"@....!
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