शनिवार, 5 दिसंबर 2015

खोल किवड़िया मन की


खोजा जाने कहां कहां
मन्दिर मस्ज़िद गुरूद्वारे
खोज खोज सब हारे
बस खोले नही किसी ने
अपने मन के दरवाज़े
खोल किवड़िया मन की
जिसने झांका मन के द्वारे
थम गया तब वहीं वो
न भटका फिर द्वारे द्वारे
जगमग जगमग हो उठे
हृदय मन के अंधियारे
....विवेक®....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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