रविवार, 14 फ़रवरी 2016

हे माँ ज्ञानदा


माँ ज्ञानदा ज्ञान दे ,
 शब्दों का वरदान दे ।
 कहूँ न अभिमान से ,
 कलम का स्वाभिमान दे ।
   .... विवेक ....

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कलम चलती है शब्द जागते हैं।

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