कट रहे वन जन हुए सघन ।
थम गया जल ,
बहता था जो कल कल , कल ।
कहता है मानव विकास हुआ ,
पर प्रकृति का तो सर्व नाश हुआ ।
माना मानव ने गगन को छुआ ,
पर धरा को धूल धुएं से भर दिया ।
क्या पाया था क्या देकर जाओगे ,
इस महा विनाश से सोचो कैसे बच पाओगे ।
जब वसुंधरा को श्रृंगार रहित कर ,
विधवा सा कर जाओगे ।
..... विवेक .....
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विश्व पर्यावरण दिवस पर दो शब्द ....
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