तुम तो कहते थे फंडिंग रुक जाएगी ।
आतंक की सुइयाँ थम जाएँगी ।
आतंक की जड़ अब कट जाएगी ।
पर अब तो वो अंदर तक घुस आए है ।
पैसिंजर ट्रेन मे ब्लास्ट कराए है ।
घर अंदर हथियारों के भण्डार लगाए है ।
हम तीन अंगुलियाँ मोड़ अपनी और एक तुम्हे दिखा ।
एक यही सवाल उठाए हैं यह कैसे अच्छे दिन आए हैं ।
........ *विवेक* ......
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